सार्थक प्राइमरी एकेडमी में स्वतंत्रता दिवस पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन

स्थान: गौरवगढ़, सुपौल
विद्यालय: सार्थक प्राइमरी एकेडमी
दिनांक: 15 अगस्त 2025
15 अगस्त 2025 की सुबह, गौरवगढ़ में देशभक्ति का रंग हर ओर बिखरा हुआ था। गांव की गलियों में तिरंगे झंडे लहरा रहे थे, घर-घर से देशभक्ति के गीत सुनाई दे रहे थे और वातावरण में एक अलग ही ऊर्जा थी। इसी जोश और उमंग के बीच सार्थक प्राइमरी एकेडमी के प्रांगण में स्वतंत्रता दिवस का जश्न धूमधाम से मनाया गया। विद्यालय का मुख्य भवन तिरंगे झंडों, रंग-बिरंगे फूलों और रंगोली से सजा हुआ था। सुबह 08:45 बजे कार्यक्रम की शुरुआत हुई और शाम 04:00 बजे तक बच्चों का उत्साह बना रहा।

झंडोत्तोलन और राष्ट्रगान से हुई शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 8:45 बजे हुई। सभी बच्चे अपने-अपने वर्ग के शिक्षकों के साथ समय से पहले विद्यालय पहुँच गए थे। विद्यालय के आंगन में विशेष मंच बनाया गया था। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कमलेश्वरी यादव ने ध्वजारोहण किया। जैसे ही तिरंगा लहराया, सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों ने मिलकर पूरे सम्मान के साथ राष्ट्रीय गान गाया। उस क्षण का दृश्य इतना भव्य और आत्मीय था कि हर किसी के दिल में देशभक्ति की भावना उमड़ आई, बच्चों की मासूम आवाज़ों में गूंजता राष्ट्रगान पूरे परिसर को पवित्र बना रहा था। पूरा वातावरण "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम्" के नारों से गूंज उठा।

ज्योत प्रज्वलन और मधुर स्वागत गान 
ध्वजारोहण और राष्ट्रगान के बाद ज्योत प्रज्वलित की गई। इसके तुरंत बाद कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गान से हुई। यह गीत कक्षा 5 की छात्राएँ अनन्या और दर्पण ने मिलकर गाया। उन्होंने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। उनका गीत “ मंगलमय दिन आजू है” जब गूंजा, तो पूरा विद्यालय प्रांगण तालियों से गूंज उठा। उनकी मीठी आवाज़ और सुंदर प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। ऐसा लगा मानो पूरा वातावरण एक साथ खुशी और उत्साह से भर गया हो।

विद्यालय के निदेशक राजन सर का प्रेरक संबोधन
ज्योत प्रज्वलन और मधुर स्वागत गान के बाद विद्यालय के निदेशक राजन सर मंच पर आए। सबसे पहले उन्होंने विद्यालय के सभी अभिभावकों और मेहमानों का स्वागत किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "आज का दिन हमारे लिए सिर्फ उत्सव का दिन नहीं, बल्कि उन वीरों को याद करने का अवसर है जिनके बलिदान से हमें यह स्वतंत्रता मिली है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि स्वतंत्रता एक जिम्मेदारी है, और इसे बनाए रखने के लिए हमें शिक्षा, अनुशासन और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य का पालन करना होगा।" राजन सर ने विशेष रूप से बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि वे ही आने वाले भारत के निर्माता हैं। उन्होंने बच्चों को मेहनत, ईमानदारी और सच्चाई के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि अच्छे संस्कार और देशप्रेम भी उतने ही जरूरी हैं। उनके इन शब्दों ने बच्चों और अभिभावकों के मन में गहरी छाप छोड़ी।

विशेष अतिथियों का प्रेरणादायी संबोधन
विद्यालय के निदेशक राजन सर के बाद कार्यक्रम में उपस्थित विशेष अतिथियों श्री चंद्र प्रकाश यादव, प्रोफेसर विनय भूषण जी, श्री मुन्ना चमन, श्री शिवनंदन यादव, श्री कौशल किशोर यादव , रूपेश कुमार जी ने बारी-बारी से मंच संभाला और अभिभावकों तथा बच्चों को संबोधित किया।
श्री चंद्रप्रकाश यादव ने अपने विचार रखते हुए बच्चों को मेहनत और अनुशासन का महत्व बताया। उन्होंने बच्चों को समझाया कि मेहनत और अनुशासन जीवन में सबसे बड़ी ताकत है। अगर कोई बच्चा रोज़ पढ़ाई करता है, समय पर स्कूल आता है और शिक्षकों की बात मानता है, तो वह ज़रूर सफल होगा। उनका कहना था कि माता-पिता और शिक्षक दोनों को मिलकर बच्चों को सही रास्ता दिखाना चाहिए।
प्रोफेसर विनय भूषण जी ने शिक्षा और संस्कार की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शिक्षा का मतलब केवल किताबें पढ़ना या परीक्षा पास करना नहीं है। असली शिक्षा वह है जिससे बच्चे अच्छे इंसान बनें। जैसे– बड़ों का सम्मान करना, छोटे बच्चों से प्यार करना, और समाज की भलाई के लिए काम करना। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ अच्छे संस्कार भी ज़रूरी हैं।
श्री मुन्ना चमन ने बच्चों को देशभक्ति की प्रेरणा दी और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बच्चों को यह समझाया कि देशभक्ति सिर्फ़ झंडा फहराने या नारे लगाने से पूरी नहीं होती। असली देशभक्ति तब होती है जब हम ईमानदारी से पढ़ाई करें, मेहनत करें और अपने माता-पिता, गुरुजनों तथा समाज का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि अगर हर बच्चा छोटे-छोटे अच्छे काम करेगा, तो मिलकर बड़ा बदलाव आएगा।
श्री शिवनंदन यादव ने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर दें। उन्होंने अभिभावकों को समझाया कि हर बच्चा अलग होता है और हर किसी में एक खास हुनर छिपा होता है। कोई बच्चा पढ़ाई में अच्छा होता है, कोई खेल में, तो कोई गाने या कला में। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि बच्चों पर केवल पढ़ाई का दबाव न डालें, बल्कि उन्हें अपनी रुचि के हिसाब से आगे बढ़ने का मौका दें।

प्रसाद वितरण
सभी विशेष अतिथियों के प्रेरक और भावपूर्ण संबोधन के बाद इस कार्यक्रम का समापन प्रसाद वितरण से किया गया। विद्यालय परिवार की ओर से उपस्थित प्रत्येक बच्चे और अभिभावक को स्वतंत्रता दिवस का प्रसाद ससम्मान दिया गया। बच्चों ने उत्साह और मासूम मुस्कान के साथ प्रसाद ग्रहण किया। प्रसाद पाते ही उनके चेहरे खुशी से खिल उठे। विद्यालय परिसर में हर्ष और उल्लास का वातावरण बन गया, मानो मिठास पूरे माहौल में घुल गई हो। इस प्रसाद वितरण ने न केवल समारोह की गरिमा को बढ़ाया, बल्कि बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच अपनत्व, भाईचारे और एकता की भावना को और भी मजबूत बना दिया।

बच्चों की प्रतिभा ने कार्यक्रम को बनाया खास
अतिथियों के प्रेरणादायी संबोधन और प्रसाद वितरण के बाद बच्चों में भाषण, सिंगिंग, नृत्य और ड्रामा की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं ने स्वतंत्रता दिवस समारोह को और भी रोचक और जीवंत बना दिया।
छोटे-छोटे बच्चों ने आत्मविश्वास के साथ अपने भाषण प्रस्तुत किए। उनकी देशभक्ति से भरी आवाज़ ने सभी का मन मोह लिया। सिंगिंग प्रतियोगिता में बच्चों ने एक से बढ़कर एक देशभक्ति गीत गाए, जिनसे वातावरण गूंज उठा। नृत्य प्रतियोगिता में बच्चों ने मनमोहक प्रस्तुति दी। वहीं, सांस्कृतिक कार्यक्रम में बच्चों द्वारा प्रस्तुत नाटकों ने सबका मन मोह लिया। हर नाटक ने समाज को एक विशेष संदेश देने का काम किया।
इन प्रस्तुतियों ने बच्चों की प्रतिभा को सामने लाने के साथ-साथ स्वतंत्रता दिवस के महत्व को भी और गहराई से समझाया। पूरा विद्यालय देशभक्ति की भावना से भर उठा और हर किसी के चेहरे पर गर्व और खुशी झलक रही थी।

बच्चों के भाषण
• कक्षा 6 के छात्र सत्यम कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस हमें उन महान स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है जिन्होंने अपने साहस और बलिदान से हमें आज़ादी दिलाई। 
• कक्षा 5 के छात्र सार्थक कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हमारे देश का गर्व है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि आज हम जिस आज़ादी का आनंद ले रहे हैं, उसके पीछे लाखों वीरों के बलिदान छिपे हैं।
• कक्षा 5 के छात्र सुशांत कुमार ने अपने भाषण में यह भी बताया कि विद्यार्थियों का सबसे बड़ा हथियार उनकी कलम और उनका ज्ञान है। अगर बच्चे पढ़ाई में मन लगाएँ और अच्छे संस्कार अपनाएँ, तो वे आने वाले कल में देश को महान बना सकते हैं।
• कक्षा 5 के छात्र माधव ने कहा कि 15 अगस्त केवल आज़ादी का पर्व नहीं, बल्कि यह हर भारतीय के लिए गर्व और जिम्मेदारी का दिन है।
• कक्षा 4 के छात्र हेमंत ने कहा कि हम सबको अपने देश से प्यार करना चाहिए, तिरंगे का सम्मान करना चाहिए और आपस में मिलजुलकर रहना चाहिए।

बच्चों की सिंगिंग प्रस्तुति
• कक्षा 5 के छात्र बिलाल अहमद की मासूम आवाज़ में जब गीत “Ashq Na Ho” गूंजा तो पूरा वातावरण भावुक हो उठा। छोटे से बच्चे की आवाज़ में इतना गहरा भाव था कि वहाँ मौजूद हर व्यक्ति कुछ पलों के लिए मौन हो गया। उसकी प्रस्तुति ने सभी को देशप्रेम के साथ-साथ बलिदानों की याद दिला दी।
• कक्षा 5 के छात्र अद्यान्त उज्ज्वल ने पूरे जोश और उमंग के साथ मशहूर देशभक्ति गीत “Ae Mere Watan Ke Logon” प्रस्तुत किया। उसकी गायकी सुनकर पूरा विद्यालय तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। यह प्रस्तुति सभी के दिलों को छू गई और बच्चों के मन में देशभक्ति की भावना और गहरी हो गई।
दोनों प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को एक नई ऊँचाई दी और यह साबित किया कि संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने और देशप्रेम जगाने का सबसे सुंदर माध्यम है।
• कक्षा 5 के छात्र सार्थक ने अपनी मधुर आवाज़ में “O Desh Mere” गाकर सबका दिल जीत लिया। उसके गीत में देश के प्रति गहरा सम्मान और प्रेम झलक रहा था। तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा वातावरण गूंज उठा।
• कक्षा 5 की छात्रा अनन्या भारती ने “Ae Mere Pyare Watan” गीत प्रस्तुत किया। उसकी कोमल और भावपूर्ण आवाज़ ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। गीत सुनते ही फिर एक बार तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा वातावरण गूंज उठा।

बच्चों की डांस प्रस्तुति
संगीतमय प्रस्तुतियों के बाद मंच पर बच्चों के रंगारंग नृत्य कार्यक्रमों ने सभी का मन मोह लिया। छोटे-बड़े बच्चों ने देशभक्ति और मनोरंजन दोनों से भरे डांस प्रस्तुत कर पूरे माहौल को उत्साह से भर दिया।
• कक्षा 5 की छात्रा अनन्या भारती ने “मैं मर भी जाऊं तू वतन याद रहेगा”, “Ayo Re Shubh Din Ayo” और “Nagada” पर अपनी जोशीली प्रस्तुति दी। उसकी ऊर्जा ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिससे पूरा वातावरण तालिया की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
• कक्षा 6 के छात्र रुद्र प्रताप और मयंक कुमार ने “Jalwa Tera Jalwa” पर दमदार नृत्य कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। उसके आत्मविश्वास और जोश ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। दर्शकों ने खूब तालियाँ बजाईं।
• कक्षा 4 की शालु प्रिया और कक्षा 5 की दर्पण ने मिलकर “Shyama Aan Baso” पर मनमोहक प्रस्तुति दी। इस भावपूर्ण नृत्य ने सभी को भक्ति और संस्कृति की भावना से जोड़ दिया।
• कक्षा 5 की अंकिता ने “Teri Mitti” पर ऐसा नृत्य किया कि दर्शकों ने खूब तालियां बजाई। उसकी प्रस्तुति देशभक्ति से भरपूर और दिल को छू लेने वाली रही। दर्शक तालियों की गड़गड़ाहट से उसका उत्साह बढ़ाते रहे।
अनन्या (कक्षा 5) और अंकिता (कक्षा 5) की जोड़ी ने मंच पर “Sweety Tera Drama” पर धमाकेदार डांस किया। दोनों की तालमेल और ऊर्जा ने सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया।
• कक्षा 5 की भाव्या भावना ने “India Wale” पर जबरदस्त डांस किया। उसकी प्रस्तुति में जो जोश और उत्साह दिखा, उसने पूरे मंच का माहौल देशभक्ति और गर्व से भर दिया।
• कक्षा 3 की सोनाक्षी ने “Love Letter Song” पर अपनी प्यारी और मासूम प्रस्तुति दी। उसकी मासूम प्रस्तुति ने सबका दिल जीत लिया।
इन सभी प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया। बच्चों ने नृत्य के माध्यम से यह साबित किया कि देशभक्ति और कला का संगम हर दिल को छू सकता है।

बच्चों की नाट्य प्रस्तुति बनी आकर्षण का केंद्र
स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर मंच पर एक से बढ़कर एक नाट्य प्रस्तुतियाँ हुईं। अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों ने समाज से जुड़े मुद्दों और जीवन मूल्यों को दर्शाने वाले नाटक प्रस्तुत किए, जिन्हें देखकर दर्शकों ने तालियाँ बजाकर बच्चों का उत्साह भी बढ़ाया।

1. “अनपढ़ नेता”
इस नाटक में कक्षा 6 के अंकुश ने नेता की भूमिका निभाई। उसके साथ कक्षा 4 के प्रवीण ने पी.ए., कक्षा 6 के रुद्र प्रताप राज ने रिपोर्टर और कक्षा 4 के कुश तथा कक्षा 5 के मणिकांत ने बॉडीगार्ड का किरदार निभाया। इस नाटक ने शिक्षा के महत्व और जागरूक नेतृत्व की आवश्यकता को हास्य और व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत किया।

2. “सोशल मीडिया”
इस नाटक में बच्चों ने सोशल मीडिया के अच्छे और बुरे प्रभावों को दर्शाया। कक्षा 5 का बिलाल अहमद फेसबुक बना, कक्षा 4 का प्रवीण इंस्टाग्राम, कक्षा 5 का चंदन व्हाट्सएप, कक्षा 4 का कुश टिक-टॉक और कक्षा 5 का आदित्य गूगल बना। इसके अलावा कक्षा 4 के राजा ने पिता, आनंद ने माँ, कक्षा 3 के आयुष ने बेटी और कक्षा 4 के सुंदर ने डॉक्टर की भूमिका निभाई। इस नाटक ने दिखाया कि सोशल मीडिया का सही उपयोग कितना लाभकारी है और गलत उपयोग कितना खतरनाक हो सकता है।

3. “बाल विवाह”
समाज की बुराई पर आधारित इस नाटक में कक्षा 6 की अंबिका ने बेटी, रिया कुमारी ने माँ, प्राची ने पिता और अजनबी कुमारी ने ससुर का किरदार निभाया। कक्षा 5 की भाव्या ने बड़ी बहन, कक्षा 4 की आस्था ने बेटा, जबकि कक्षा 5 की सुची और साक्षी ने पुलिस की भूमिका निभाई। इस नाटक ने बाल विवाह जैसी कुरीति पर गहरी चोट की और दर्शकों को जागरूक होने का संदेश दिया।

4. “संस्कार का महत्व”
इस नाटक में कक्षा 6 के अंकुश कुमार ने असंस्कारी पिता का किरदार निभाया। कक्षा 4 का अनुराग और कक्षा 5 का चंदन ने पुत्र की भूमिका निभाई। वहीं, कक्षा 5 का मयंक पुलिस और कक्षा 4 का प्रवीण जेलर बना। इस नाटक ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि अच्छे संस्कार ही परिवार और समाज को मजबूत बनाते हैं।

5. “Father Best Love”
यह नाटक बेहद भावुक रहा। इसमें विद्यालय के शिक्षक रामप्रकाश सर ने पिता की भूमिका निभाई। कक्षा 6 के आदर्श कुमार ने बेटे का किरदार निभाकर पिता के त्याग और स्नेह को दर्शाया। कक्षा 6 के मो. इन्सारुल और मयंक कुमार तथा कक्षा 4 के अनुराग ने बेटे के दोस्त बनकर नाटक को और रोचक बना दिया। इस नाटक ने दर्शकों को गहराई से छुआ और कई अभिभावक भावुक हो उठे।
इन सभी प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को जीवंत और सार्थक बना दिया। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से बच्चों का उत्साह बढ़ाया।

निर्णायक मंडल
सभी बच्चों के भाषण, गाना, नृत्य और नाटक खत्म होने के बाद अब निर्णायकों की बारी आई। बच्चे भी बड़ी उत्सुकता से इंतज़ार कर रहे थे कि उनका प्रदर्शन कैसा रहा। निर्णायक के रूप में आर.के. सर, एस.सी. बासु सर और सत्यम सर मौजूद थे। तीनों शिक्षकों ने हर बच्चे की प्रस्तुति को ध्यान से देखा और पूरी तरह निष्पक्ष रहकर मूल्यांकन किया। उन्होंने बच्चों के आत्मविश्वास, बोलने के तरीके, नृत्य की लय और अभिनय की ताकत को देखकर अंक दिए।
बच्चों के सभी कार्यक्रम खत्म होने के बाद निर्णायकों ने अपने विचार साझा किए।
आर.के. सर ने कहा – “आप सभी बच्चों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। हर प्रस्तुति में मेहनत और आत्मविश्वास साफ दिखता है।"
एस.सी. बसु सर ने कहा – “प्रतियोगिता में भाग लेना ही बड़ी बात है। आप सबने गाना, नृत्य, भाषण और नाटक में अच्छा काम किया।”
सत्यम सर ने कहा – “मंच पर आकर डर को हराना ही असली जीत है। आज आप सबने साबित कर दिया कि आप सब में बहुत प्रतिभा है।”

प्रतियोगिताओं के परिणाम घोषित
सभी प्रतियोगिताओं के शानदार समापन के बाद निर्णायकों ने परिणाम घोषित किए। हर बच्चा अपनी मेहनत और प्रतिभा के कारण सराहना का हकदार बना।

स्पीच प्रतियोगिता:
• प्रथम पुरस्कार – सुशांत कुमार (कक्षा 5) और सार्थक (कक्षा 5)
• द्वितीय पुरस्कार – माधव कुमार (कक्षा 5) और सत्यम कुमार (कक्षा 6)
• तृतीय पुरस्कार – हेमंत कुमार (कक्षा 4)

सिंगिंग प्रतियोगिता:
• प्रथम पुरस्कार – अनन्या और दर्पण (कक्षा 5)
• द्वितीय पुरस्कार – बिलाल अहमद (कक्षा 5)
• तृतीय पुरस्कार – अद्यांत उज्जवल (कक्षा 4)

डांस प्रतियोगिता:
• प्रथम पुरस्कार – अनन्या भारती (कक्षा 5) और रुद्र प्रताप (कक्षा 6)
• द्वितीय पुरस्कार – भाव्या भावना (कक्षा 5)
• तृतीय पुरस्कार – शालु प्रिया (कक्षा 4) और दर्पण (कक्षा 5)

ड्रामा प्रतियोगिता:
• प्रथम पुरस्कार – अनपढ़ नेता
• द्वितीय पुरस्कार – सोशल मीडिया
• तृतीय पुरस्कार – बाल विवाह

शिक्षकों का सम्मान समारोह
सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं के सफल समापन के बाद मंच पर एक विशेष क्षण आया। विद्यालय परिवार ने यह अवसर सभी शिक्षकों और शिक्षिकाओं को समर्पित किया, जिन्होंने बच्चों को न सिर्फ पढ़ाई में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन और प्रेरणा दी है।
सम्मान समारोह में सबसे पहले विद्यालय की शिक्षिकाओं में मधु, मनीषा, नैन्सी, सोनी और आंचल को सम्मानित किया गया। बच्चों और अभिभावकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। इसके बाद विद्यालय के शिक्षकों में एस.सी. बासु सर, रामकृष्ण सर, कुंदन सर, नंदन सर, एस.एन. सर, संतोष सर, सतीश सर, संजय सर, सत्यम सर, रामप्रकाश सर, अजीत सर और सुनील सर को सम्मानित किया गया। उनकी समर्पण भावना ने विद्यालय को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है।
इस सम्मान समारोह ने कार्यक्रम को और भी गरिमामय बना दिया। वातावरण में “गुरु देवो भवः” की भावना गूंज उठी और सभी के चेहरों पर सम्मान और कृतज्ञता की झलक साफ दिखाई दी।

निष्कर्ष
सार्थक प्राइमरी एकेडमी, गौरवगढ़, सुपौल में आयोजित यह स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम बच्चों के उत्साह, शिक्षकों की मेहनत और अभिभावकों की भागीदारी का बेहतरीन उदाहरण रहा। यह सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि बच्चों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाने वाला एक जीवंत अनुभव था।