स्थान: गौरवगढ़, सुपौल
विद्यालय: सार्थक प्राइमरी एकेडमी
दिनांक: 02 अगस्त 2025
प्रकृति और पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में सार्थक प्राइमरी एकेडमी, गौरवगढ़, सुपौल में दिनांक 02 अगस्त 2025 को एक विशेष वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल विद्यालय परिसर को हरित बनाना था, बल्कि विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना भी था।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रातःकालीन प्रार्थना सभा के साथ हुई, जिसमें विद्यालय के सभी विद्यार्थी, शिक्षकगण एवं कर्मचारी उपस्थित थे। सभा के दौरान विद्यालय के निदेशक राजन सर ने वृक्षारोपण के महत्व पर एक प्रेरणास्पद भाषण दिया। उन्होंने कहा कि "वृक्ष जीवन का आधार हैं। पेड़ न केवल हमें ऑक्सीजन देते हैं बल्कि यह पृथ्वी को सुंदर, सुरक्षित और संतुलित बनाते हैं। आज का पौधा कल एक विशाल वृक्ष बनेगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए छाया, फल और जीवन देगा।"
इस अवसर पर शिक्षकों ने अपने विचार व्यक्त किए:
• नंदन सर ने वृक्षों को भविष्य की संजीवनी बताते हुए कहा –"आज जो पौधा हम रोप रहे हैं, वही कल हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ऑक्सीजन और छाया का स्रोत बनेगा। यह एक तरह का दीर्घकालीन निवेश है, जो न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखेगा बल्कि मानवता को भी संरक्षित करेगा। हमें सिर्फ पौधे नहीं, भविष्य के जीवन स्रोत रोपने चाहिए।" उन्होंने बच्चों को समझाया कि जैसे वे अपने खिलौनों और किताबों की देखभाल करते हैं, वैसे ही हर पौधे की भी देखभाल करनी चाहिए।
• सत्यम सर ने पौधों की वैज्ञानिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, "पेड़ पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। यह पर्यावरणीय असंतुलन को दूर करते हैं।"
• एस.सी. बासु सर ने पर्यावरण सरंक्षण को जीवनशैली का हिस्सा बनाने पर जोर देते हुए कहा, "हमें वृक्षारोपण को केवल एक कार्यक्रम के रूप में नहीं, बल्कि अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए।"
•अजीत सर ने वृक्षारोपण के दौरान कहा, "यदि हम अपने जीवन में हर साल एक पौधा भी लगाएं और उसकी देखभाल करें, तो आने वाले वर्षों में हमारे चारों ओर हरियाली ही हरियाली होगी।"
• संजय सर ने वृक्षों को मानवता के रक्षक की संज्ञा देते हुए कहा – "मनुष्य ने विज्ञान और तकनीक में कितनी भी तरक्की कर ली हो, लेकिन वह कभी पेड़ों के योगदान की भरपाई नहीं कर सकता। पेड़ न हों तो जीवन नहीं हो सकता। इसलिए हमें पेड़ों से प्रेम करना चाहिए।" उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपने परिवार, मोहल्ले और गांव के लोगों को भी वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करें और इस कार्य को जन आंदोलन बनाएं।
शिक्षकों के विचारों ने न केवल बच्चों को प्रभावित किया, बल्कि उन्हें जीवनभर वृक्षों की महत्ता समझने और उनके संरक्षण हेतु प्रेरित किया। ऐसे प्रेरणादायक शब्द बच्चों के मन में प्रकृति के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी की भावना को गहराई से स्थापित करते हैं।
छात्रों ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया और अपने विचार रखे:
• विकाश (कक्षा 2) ने कहा, "पेड़ हमें फल देते हैं और पक्षियों को घर भी। हम रोज़ इनकी छाया में खेलते हैं, इसलिए हमें उनका ध्यान रखना चाहिए।"
• देवांश और अनुराग (कक्षा 4) ने कहा, "पेड़ हमारे असली दोस्त हैं। ये बिना कुछ मांगे हमें सब कुछ देते हैं।"
• बिलाल अहमद और चंदन (कक्षा 5) ने कहा कि "यदि हर बच्चा एक पौधा लगाए और उसका ध्यान रखे, तो हम अपने गांव को हरा-भरा बना सकते हैं।"
पर्यावरण शिक्षा का एक सशक्त माध्यम बना वृक्षारोपण:
यह वृक्षारोपण कार्यक्रम न केवल एक आयोजन था, बल्कि एक शिक्षाप्रद अनुभव भी बना। विद्यार्थियों ने अपने शिक्षकों से पर्यावरण से संबंधित कई जानकारियाँ प्राप्त कीं। बच्चों को यह बताया गया कि वृक्ष किस प्रकार वर्षा लाने, भूमि क्षरण को रोकने और जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक होते हैं। साथ ही यह भी सिखाया गया कि एक पौधे को रोपना जितना आवश्यक है, उससे कहीं अधिक आवश्यक है उसकी देखभाल करना।
सामाजिक और नैतिक शिक्षा का संगम:
इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों में सामाजिक और नैतिक मूल्यों का भी विकास हुआ। उन्होंने समूह में कार्य करना, सहयोग करना, जिम्मेदारी लेना, और प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना सीखा। बच्चों को यह भी बताया गया कि पेड़ लगाना एक ऐसा पुण्य कार्य है, जिससे न केवल वे स्वयं लाभान्वित होंगे, बल्कि उनका पर्यावरण भी।
अंतिम संदेश:
कार्यक्रम के समापन पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने सभी का आभार प्रकट किया और सभी विद्यार्थियों को संदेश दिया कि "एक पौधा, एक जीवन" – यह भावना लेकर चलें और हर साल कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएं। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यालय परिसर में लगाए गए पौधों की देखभाल बच्चों को सौंपी जाएगी और समय-समय पर इसकी निगरानी की जाएगी।
निष्कर्ष:
वृक्षारोपण का यह आयोजन सार्थक प्राइमरी एकेडमी के लिए केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह बच्चों को प्रकृति से जोड़ने और उन्हें एक ज़िम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। सभी शिक्षकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों ने मिलकर इसे सफल बनाया। इस प्रकार के आयोजन न केवल विद्यालय परिसर को हरित बनाते हैं, बल्कि बच्चों के मन में पर्यावरण के प्रति प्रेम और संवेदनशीलता भी विकसित करते हैं।