सार्थक प्राइमरी एकेडमी की नन्हीं छात्राओं ने दी 'सुरक्षा और प्राथमिक उपचार’ की खास सीख

सार्थक प्राइमरी एकेडमी, सुपौल में शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है — यहाँ बच्चों को व्यावहारिक ज्ञान और जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें भी सिखाई जाती हैं। इसी उद्देश्य से विद्यालय के शिक्षक रामप्रकाश सर ने दुर्गा पूजा की छुट्टियों से पहले बच्चों को एक दिलचस्प और उपयोगी विषय "Safety and the First Aid Box” पर प्रोजेक्ट बनाने का निर्देश दिया था।
यह विषय बच्चों के दैनिक जीवन से जुड़ा हुआ है और इसका उद्देश्य उन्हें यह सिखाना था कि यदि कभी कोई छोटा-मोटा हादसा या चोट लग जाए, तो हमें क्या करना चाहिए और किस प्रकार प्राथमिक उपचार (First Aid) देना चाहिए।

छुट्टियों के बाद जब विद्यालय 7 अक्टूबर को दोबारा खुला, तो बच्चों ने पूरे उत्साह और मेहनत के साथ अपने बनाए प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए। कक्षा 2 और कक्षा 3 कि छात्राओं ने मिलकर इस विषय को जीवंत बना दिया।

छात्राओं द्वारा प्रस्तुत विचार:
• कक्षा 3 की मिनाक्षी ने कहा कि “First Aid Box हर घर और स्कूल में होना चाहिए, ताकि किसी भी दुर्घटना के समय तुरंत मदद मिल सके।” अक्सर हम खेलते समय या घर पर काम करते समय चोटिल हो जाते हैं। ऐसे समय पर तुरंत इलाज शुरू करना चाहिए। अगर हमारे पास First Aid Box हो तो छोटी-मोटी चोट को वहीं ठीक किया जा सकता है और बड़ी समस्या बनने से बचा जा सकता है। यह हमारी सुरक्षा के लिए सबसे पहला कदम है।
• कक्षा 3 की रोली ने बताया कि “First Aid Box में पट्टी, एंटीसेप्टिक क्रीम, कॉटन और कैंची जैसी जरूरी चीजें हमेशा रखनी चाहिए।” जब भी किसी को चोट लगती है, तो हम बिना समय गंवाए मदद कर सकते हैं।
• कक्षा 3 की दीक्षा ने कहा कि “अगर कोई चोटिल हो जाए तो तुरंत First Aid देकर बड़ी परेशानी से बचा जा सकता है।” जब किसी को चोट लगती है और हम तुरंत पट्टी या दवा लगा देते हैं, तो बड़ी परेशानी से बचा जा सकता है। हमें First Aid की जानकारी भी होनी चाहिए ताकि हम सही तरीके से दूसरों की मदद कर सकें।
• कक्षा 3 की निधि ने कहा कि “First Aid Box से हम खुद भी सुरक्षित रह सकते हैं और दूसरों की मदद भी कर सकते हैं।” कई बार हम छोटे-छोटे हादसों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे बाद में बड़ी समस्या हो जाती है।
• कक्षा 3 की अंजली भी First Aid Box बनाकर लाई। इसके साथ ही उसने एक बड़े चार्ट पर अलग-अलग विषयों का सुंदर चित्रण किया। एक ओर Solar System और Earth Rotation, दूसरी ओर Computer के Parts और साथ ही Parts of Plant (जड़, पत्ती, फूल, फल) बनाकर प्रस्तुत किया। इस प्रकार अंजलि ने न केवल First Aid का महत्व सीखा, बल्कि अपनी रचनात्मकता को भी प्रस्तुत किया।

छात्राओं की एक्टिविटीज़ से मिली सीख
प्रोजेक्ट प्रस्तुत करने के बाद कुछ छात्राओं ने क्लास में छोटी-छोटी First Aid एक्टिविटीज़ भी कीं, जिससे बाकी बच्चों को व्यावहारिक ज्ञान मिला।
भावना (कक्षा 3) और दीक्षा (कक्षा 3) ने मिलकर क्लास में बताया कि अगर हाथ में चोट लग जाए तो पट्टी कैसे बाँधनी चाहिए। इस तस्वीर में भावना दीक्षा के हाथ पर पट्टी बाँध रही है।
सरस्वती (कक्षा 3) और मधु (कक्षा 3) ने बताया कि चोट लगने पर सबसे पहले डेटॉल या एंटीसेप्टिक से घाव साफ करना चाहिए। इस तस्वीर में सरस्वती मधु के माथे पर डेटॉल लगा रही है।
रागनी (कक्षा 2) और दीक्षा (कक्षा 2) ने सभी बच्चों को समझाया कि अगर बुखार ज्यादा हो जाए या हालत खराब लगे तो डॉक्टर से इंजेक्शन लगवाना चाहिए, डरना नहीं चाहिए। इस तस्वीर में रागनी दीक्षा को इंजेक्शन लगा रही है।
करिश्मा (कक्षा 2) और आरुषि (कक्षा 2) ने बताया कि कफ सिरप (खांसी की दवा) का सेवन केवल बड़ों की सलाह से करना चाहिए। उन्होंने सबको समझाया कि सिरप का स्वाद चाहे अच्छा लगे या नहीं, लेकिन उसे केवल तब ही लेना चाहिए जब जरूरी हो। इस तस्वीर में करिश्मा आरुषि को कफ सिरप पिला रही है।
विशाखा (कक्षा 2) और मानवी (कक्षा 2) ने “Move” (Pain relief cream) के प्रयोग का तरीका बताया। उन्होंने दिखाया कि अगर मांसपेशियों में दर्द हो तो Move लगाने से राहत मिलती है। इस तस्वीर में विशाखा मानवी को "Move" (Pain relief cream) लगा रही है।
माही (कक्षा 2) और स्वाति (कक्षा 2) ने बताया कि आयोडेक्स लगाने से सिरदर्द या हल्के दर्द में आराम मिलता है। उन्होंने सभी बच्चों को इसके सही उपयोग की जानकारी दी। इस तस्वीर में माही स्वाति को आयोडेक्स लगा रही है।
अनुप्रिया (कक्षा 2) और अंजली (कक्षा 2) ने दवाइयों की पहचान करवाई और बताया कि किसी भी दवा को बड़ों की सलाह से ही लेना चाहिए, अपनी मर्जी से नहीं। इस तस्वीर में अनुप्रिया अंजलि को दवाई दे रही है।

इन एक्टिविटीज़ को देखकर क्लास में मौजूद सभी बच्चे बहुत खुश हुए और उन्होंने First Aid के महत्व को गहराई से समझा।

शिक्षक का मार्गदर्शन
प्रोजेक्ट के अंत में विद्यालय के शिक्षक रामप्रकाश सर ने सभी बच्चों की मेहनत की सराहना की। उन्होंने कहा - “हमारे विद्यालय के बच्चे न केवल पढ़ाई में आगे हैं, बल्कि वे जीवन के महत्वपूर्ण कौशल भी सीख रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि छोटे बच्चों में अगर इस तरह की जागरूकता शुरू से डाली जाए, तो वे भविष्य में समझदार और जिम्मेदार नागरिक बनेंगे।"

सार्थक प्राइमरी एकेडमी का उद्देश्य
सार्थक प्राइमरी एकेडमी हमेशा से बच्चों की समग्र शिक्षा (Holistic Education) पर जोर देती है — यानी केवल किताबों का ज्ञान नहीं, बल्कि व्यवहारिक, सामाजिक और नैतिक शिक्षा भी।
विद्यालय का मानना है कि बच्चे तभी अच्छे इंसान बन सकते हैं जब वे दूसरों की मदद करना, सुरक्षा रखना और जिम्मेदारी निभाना सीखें।

इस प्रोजेक्ट के माध्यम से विद्यालय ने यह दिखाया कि सीखने का सबसे अच्छा तरीका “करके सीखना (Learning by Doing)” है। बच्चों ने न केवल जानकारी पाई बल्कि उसे जीवन में लागू करने का तरीका भी समझा।

निष्कर्ष
सार्थक प्राइमरी एकेडमी, सुपौल के इन नन्हे विद्यार्थियों ने “Safety and the First Aid Box” प्रोजेक्ट के ज़रिए यह साबित कर दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती, बस सही मार्गदर्शन और अवसर चाहिए।
इस गतिविधि से बच्चों ने न केवल First Aid का ज्ञान पाया, बल्कि उन्होंने यह भी सीखा कि दूसरों की मदद करना और सुरक्षा का ध्यान रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
इस कार्यक्रम से संबंधित तस्वीरें- OPEN