सार्थक प्राइमरी एकेडमी में अर्धवार्षिक परीक्षा प्रारंभ

स्थान: गौरवगढ़, सुपौल
विद्यालय: सार्थक प्राइमरी एकेडमी
दिनांक: 01 सितंबर 2025
सार्थक प्राइमरी एकेडमी में दिनांक 01 सितम्बर 2025 से अर्धवार्षिक परीक्षा का आरंभ हुआ। परीक्षा के पहले ही दिन विद्यालय का वातावरण उत्साह और गंभीरता से भरा नजर आया। सुबह से ही सभी छात्र-छात्राएँ समय पर विद्यालय पहुँचे और अपनी-अपनी कक्षाओं में परीक्षा देने के लिए तैयार होकर बैठे। बच्चों के चेहरों पर आत्मविश्वास और मेहनत का भरोसा साफ झलक रहा था। कुछ विद्यार्थियों के चेहरे पर हल्की घबराहट तो कुछ के चेहरे पर मुस्कान और आत्मसंतोष दिखाई दिया। प्रश्नपत्र हाथ में आते ही किसी ने गहरी साँस ली, तो कोई तुरंत लिखने में जुट गया। कक्षा का माहौल ऐसा था मानो सभी अपनी-अपनी मेहनत को साबित करने में लगे हों। बच्चों की आँखों में भविष्य के सपने और उत्तर पुस्तिका में अच्छे अंक पाने की उम्मीद साफ नजर आ रही थी। विद्यालय के शिक्षक भी बच्चों का हौसला बढ़ाते दिखे और उन्हें शांत मन से प्रश्नों को हल करने की सलाह दी। परीक्षा के समय शिक्षकों की मनोदशा बहुत गंभीर और जिम्मेदारी से भरी हुई थी। वे ध्यान से कक्षाओं में निगरानी कर रहे थे। उनके चेहरे पर यह संतोष साफ दिख रहा था कि बच्चों ने मेहनत की है और अब वे अपनी तैयारी दिखा रहे हैं। कुछ शिक्षक मुस्कराकर बच्चों को हिम्मत देते नजर आए, जबकि बाकी शिक्षक शांति और अनुशासन बनाए रखने में लगे रहे।

विद्यालय के निदेशक राजन सर
विद्यालय के निदेशक राजन सर ने सभी बच्चों को संबोधित करते हुए कहा— “परीक्षा केवल अंक प्राप्त करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह आपके सीखने और आत्ममूल्यांकन की प्रक्रिया है। ईमानदारी और मेहनत से परीक्षा दीजिए, परिणाम अपने आप अच्छा होगा।” राजन सर चाहते थे कि बच्चे परीक्षा को सिर्फ अंक लाने का तरीका न समझें, बल्कि इसे सीखने और खुद को परखने का मौका मानें। उनके चेहरे पर गंभीरता के साथ बच्चों के लिए उम्मीद और भरोसा साफ दिख रहा था।

शिक्षकों के प्रेरक विचार
इसके बाद विद्यालय के सभी शिक्षकों ने भी छात्रों को प्रोत्साहित किया। शिक्षकों ने बच्चों को समझाया कि पढ़ाई के साथ-साथ मन को शांत रखना भी ज़रूरी है। बच्चों से कहा गया कि प्रश्न पत्र मिलने पर पहले गहरी साँस लें और धीरे-धीरे प्रश्न पढ़ें। अगर कोई प्रश्न कठिन लगे तो उसे छोड़कर आगे बढ़ जाएँ और बाद में उस पर ध्यान दें। शिक्षक यह भी कहते रहे कि समय का सही उपयोग करें और उत्तर साफ-सुथरे लिखें। इन छोटे-छोटे सुझावों से बच्चों के चेहरे पर आत्मविश्वास बढ़ा और तनाव कम हुआ।
नंदन सर ने कहा—“बच्चों, परीक्षा में वही सफल होता है जो नियमित अभ्यास करता है। आखिरी समय में पढ़ाई करने से केवल तनाव बढ़ता है, इसलिए आगे भी रोज़ाना मेहनत करते रहना।” नंदन सर बच्चों को देखकर खुश थे और चाहते थे कि वे आगे भी रोज़ पढ़ाई की आदत डालें। उनके चेहरे पर गंभीरता के साथ बच्चों के लिए प्यार भी दिख रहा था। वे चाहते थे कि बच्चे बिना घबराए आत्मविश्वास से परीक्षा दें और मेहनत को रोज़ का हिस्सा बनाएं।
संजय सर ने बच्चों से कहा— “परीक्षा के समय आत्मविश्वास बनाए रखना सबसे ज़रूरी है। घबराएँ नहीं, शांत मन से प्रश्न पढ़ें और फिर उत्तर लिखें।” संजय सर चाहते थे कि बच्चे घबराएँ नहीं और आत्मविश्वास से परीक्षा दें। उनके चेहरे पर विश्वास और बच्चों को समझाने का अपनापन साफ दिखाई दे रहा था।
सुनील सर ने कहा—“हर प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले सोच-समझकर लिखें। साफ-सुथरी लिखावट और सटीक उत्तर से आपको अच्छे अंक मिलेंगे।” सुनील सर बच्चों को ध्यान से सोचकर लिखने की सलाह दे रहे थे। उनकी बातों में अनुशासन और सुधार करने की चाह साफ़ दिख रही थी, ताकि बच्चे साफ़ लिखें और सही उत्तर देकर अच्छे अंक ला सकें।
आर.के. सिंह सर ने कहा—“परीक्षा के दौरान अनुशासन का पालन करना बहुत आवश्यक है। समय पर पहुँचना और नियमों का पालन करना भी शिक्षा का हिस्सा है।” आर.के. सिंह सर बच्चों को यह एहसास दिलाना चाहते थे कि समय पर आना और नियम मानना भी पढ़ाई जितना ही ज़रूरी है। उनके चेहरे पर अनुशासन की गंभीरता और बच्चों के भविष्य की चिंता दोनों दिखाई दे रही थीं।
कुंदन सर ने कहा—“बच्चों, याद रखिए कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। जितनी मेहनत आप आज करेंगे, उसका फल भविष्य में ज़रूर मिलेगा।” कुंदन सर बच्चों को मेहनत का महत्व समझा रहे थे और उनके चेहरे पर विश्वास झलक रहा था कि विद्यार्थी आगे चलकर अपने परिश्रम का फल ज़रूर पाएँगे। उनके शब्दों में बच्चों के भविष्य के लिए उम्मीद और भरोसा साफ दिख रहा था।
शिक्षकों द्वारा दिए गए इन प्रेरणादायक शब्दों ने बच्चों में नया आत्मविश्वास और जोश भर दिया। जहाँ कुछ बच्चे पहले घबराए हुए थे, वहीं अब उनके चेहरों पर हिम्मत और उम्मीद की चमक दिखाई देने लगी। बच्चों ने महसूस किया कि मेहनत, आत्मविश्वास और अनुशासन से वे हर प्रश्न का उत्तर अच्छी तरह लिख सकते हैं। शिक्षकों की बातें सुनकर बच्चों के मन से डर कम हुआ और उनकी तैयारी पर भरोसा और मज़बूत हो गया। अब वे शांत मन से परीक्षा में बैठकर अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए तैयार नज़र आए।

परीक्षा को लेकर बच्चों की राय
बच्चों ने भी अपनी तैयारियों के बारे में अपने विचार साझा किए। किसी ने कहा कि उसने रोज़ाना समय पर पढ़ाई की है, तो किसी ने बताया कि उसने कठिन विषयों पर अधिक ध्यान दिया। कई बच्चों ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि वे अच्छे अंक लाएँगे, जबकि कुछ ने मुस्कुराते हुए स्वीकार किया कि थोड़ी घबराहट अभी भी है। बात करते समय बच्चों के चेहरों पर अलग-अलग भाव झलक रहे थे—किसी की आँखों में आत्मविश्वास की चमक थी, तो कोई हल्की चिंता में सिर झुकाए बैठा था। परीक्षा से ठीक पहले बच्चे आपस में बातचीत कर रहे थे—कोई दोस्तों से आखिरी बार पाठ दोहरा रहा था, तो कोई नोट्स मिलाकर देख रहा था। कुछ बच्चे हल्की-फुल्की हँसी-मज़ाक करके माहौल को हल्का कर रहे थे। जैसे ही घंटी बजी और सभी बच्चे परीक्षा हॉल में प्रवेश करने लगे, उनके चेहरे गंभीर हो गए। कोई गहरी साँस लेकर अंदर गया, तो कोई मन ही मन प्रार्थना करता दिखा। उस समय माहौल में अनुशासन और उम्मीद दोनों साफ महसूस हो रहे थे। हर बच्चा अपनी मेहनत को परखने के लिए पूरी तरह तैयार दिखाई दे रहा था।
कक्षा 6वीं के पीयूष राज ने कहा—“मैंने सभी विषयों की अच्छे से तैयारी की है। विशेष रूप से विज्ञान और गणित में मुझे पूरा भरोसा है कि अच्छे अंक आएंगे।” पीयूष राज ने पूरी मेहनत से सभी विषयों की तैयारी की है और खासकर विज्ञान व गणित में उसे अच्छे अंकों की उम्मीद हैं। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक साफ दिख रही थी। हालांकि, पहली ही परीक्षा होने के कारण उसके मन में थोड़ी घबराहट भी थी, लेकिन वह घबराहट उसके उत्साह और मेहनत के सामने बहुत छोटी लग रही थी।
कक्षा 5वीं के सुधांशु शेखर ने कहा—“मैंने रोज़ाना मेहनत और पूरी ईमानदारी से पढ़ाई की है। इस बार मुझे उम्मीद है कि सभी विषयों में अच्छे अंक लाऊँगा।” सुधांशु शेखर को विश्वास था कि सभी विषयों में अच्छे अंक आएँगे। उसके चेहरे पर उत्साह साफ दिखाई दे रहा था। फिर भी, परीक्षा का माहौल होने की वजह से उसे थोड़ी घबराहट भी थी, लेकिन यह घबराहट उसके आत्मविश्वास और मेहनत के भरोसे के आगे बहुत कम लग रही थी।
कक्षा 5वीं के प्रिंस राज ने कहा—“मेरी तैयारी ठीक है। reasoning और computer मेरा पसंदीदा विषय है। उसमें अच्छे अंक आने की उम्मीद है।” प्रिंस राज को अपनी तैयारी पर भरोसा था और खासकर reasoning और computer जैसे पसंदीदा विषयों में अच्छे अंक आने की उम्मीद थी। उसके चेहरे पर संतोष और उत्साह साफ झलक रहा था। हालांकि, परीक्षा का माहौल देखकर उसे थोड़ी घबराहट भी थी, लेकिन पसंदीदा विषयों का नाम लेते ही उसके चेहरे पर आत्मविश्वास की मुस्कान लौट आई।
कक्षा 5वीं के माधव ने कहा—“मैंने गणित और अंग्रेज़ी पर ज़्यादा ध्यान दिया है। इस बार मैं अपनी कक्षा में सबसे अच्छा करने की कोशिश करूंगा।” माधव ने गणित और अंग्रेज़ी पर ज्यादा मेहनत की थी और उसे भरोसा था कि इस बार अच्छा करूंगा। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास था, लेकिन मन में थोड़ी घबराहट भी थी कि कहीं कोई गलती न हो जाए। फिर भी, उसकी मेहनत और लगन उसे इस घबराहट से ऊपर उठाकर आगे बढ़ने की ताकत दे रही थी।
विद्यालय के माहौल में बच्चों का आत्मविश्वास और शिक्षकों का सहयोग साफ दिखाई दे रहा था। बच्चे पूरी तैयारी और जोश के साथ परीक्षा में बैठे थे, वहीं शिक्षक लगातार उन्हें सही रास्ता दिखा रहे थे और हौसला बढ़ा रहे थे। बच्चों की लगन और शिक्षकों के मार्गदर्शन को देखकर यह स्पष्ट था कि परीक्षा का माहौल बिल्कुल अनुशासित और ईमानदारी से भरा रहेगा। सभी के चेहरे से यह झलक रहा था कि वे मेहनत का सही परिणाम पाने के लिए पूरी निष्ठा से जुटे हुए हैं।

कक्षाओं में शांति और अनुशासन
परीक्षा शुरू होते ही पूरा विद्यालय एकदम शांत हो गया। हर कक्षा में बच्चे अपनी-अपनी सीट पर बैठे थे और प्रश्न पत्र मिलने के बाद पूरी गंभीरता से लिखना शुरू कर दिया। कोई भी बच्चा इधर-उधर बात नहीं कर रहा था। सबके चेहरों पर एकाग्रता और अनुशासन साफ दिखाई दे रहा था। विद्यालय परिसर का यह दृश्य देखकर लग रहा था जैसे हर बच्चा अपने भविष्य की नींव मजबूत कर रहा है।

बच्चे ध्यान से लिखते हुए
जब कक्षा के अंदर झाँका गया तो बच्चे पूरी तन्मयता से अपने उत्तर लिख रहे थे। किसी ने तेजी से गणित के सवाल हल किए, तो कोई विज्ञान के लंबे उत्तर बड़े ध्यान से लिख रहा था। छोटे बच्चे भी अपनी कॉपी पर साफ-सुथरे अक्षरों में उत्तर लिखने की कोशिश कर रहे थे। उनकी आँखों में अच्छा करने की चमक साफ दिखाई दे रही थी।

शिक्षक निगरानी करते हुए
परीक्षा के दौरान शिक्षक भी अपनी-अपनी कक्षाओं में पूरी जिम्मेदारी से निगरानी कर रहे थे। वे यह सुनिश्चित कर रहे थे कि सभी बच्चे शांतिपूर्वक परीक्षा दें और किसी को कोई समस्या न हो। अगर किसी बच्चे को प्रश्न समझने में दिक्कत हुई, तो शिक्षक ने नियमों के अनुसार बस प्रश्न को धीरे से दोहराया, लेकिन उत्तर नहीं बताया। इस तरह परीक्षा पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ चल रही थी।

निष्कर्ष
सार्थक प्राइमरी एकेडमी में अर्धवार्षिक परीक्षा अच्छे माहौल में शुरू हुई। बच्चे मेहनत और आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दे रहे हैं। शिक्षक भी बच्चों को प्रोत्साहित कर रहे हैं और पूरी निगरानी कर रहे हैं। इस परीक्षा से बच्चों की पढ़ाई का पता चलेगा और वे आगे और बेहतर करने की कोशिश करेंगे। सभी बच्चों की इच्छा है कि वे अच्छे अंक लाकर स्कूल और माता-पिता का नाम रोशन करें।
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